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जम्मू-कश्मीर में प्रवासी मजदूरों पर हमले


  • Written By अनुभा जैन, लेखिका पत्रकार on Tuesday, November 21,2021
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बिहार और उत्तर प्रदेश के पांच प्रवासी मजदूरों को कश्मीर में जान से मारने जैसी घटनायें बहुत सामान्य रूप में सुनने में आ रही हैं। बिहार से आये राजा ऋषि और जोगिन्दर ऋषि नामक मजदूर कश्मीर के कुलगाम जिले के वानपोह में हुये हमलों में मारे गये। जम्मू और कश्मीर आर्मी ने दो लिटटे आतंककारियों को जो इस आतंक और हमलों से जुडे हुये थे को मार गिराया। जानकारी देते हुये आई.जी.पी कश्मीर ने बताया कि इनमें से एक लश्कर-ए-तैययबा का कमांडर गुलजार अहमद रेजी था।


इसके साथ ही कुल 11 लोग अक्टूबर माह 2021 में मारे गये। इस तरह की नागरिकों की टारगेट किलिंग अक्टूबर 2021 से शुरू हुई जिसके चलते घाटी में कई लोगों को कैद में लेने के साथ पूछताछ जारी है। आतंककारियों से दहशतजदा प्रवासी मजदूरों और नागरिकों को सहमा हुआ देख सुरक्षा एजेंसियों ने कश्मीर घाटी में गहन खोजबीन शुरू कर दी है।


सरकारी आंकडों के अनुसार, पिछले वर्ष 41 की तुलना में इस साल करीब 32 नागरिक आतंकीय हमलों में मारे गये। 2021 के पहले 9 माह में 63 केसेज आतंकियों द्वारा उकसाये गये एनकाउंटर, 28 मामले आतंकी गतिविधियों के दर्ज किये गये। आंकडों की माने तो 97 स्थानीय युवाओं ने आतंकी गतिविधियों के लिये अपने घरों को छोडा।


उप राज्यपाल मनोज सिन्हा ने बदले हुये कश्मीर के नक्शे में जनता को सरकार से सीधे जोडने के लिये कई प्रयोगात्मक और रचनात्मक कदम उठाये। लेकिन पिछले दो-तीन सप्ताह में आतंक की ऐसी घटनाओं ने कश्मीर को फिर चर्चा का विषय बना दिया है। आतंकियों ने ना केवल स्थानीय कश्मीरियों पर हमले किये बल्कि देश के अलग अलग जगहों से काम की तलाश में आये मजदूरों और नागरिकों को अपना निशाना बनाया। इससे विपरित प्रभाव के रूप में कश्मीर लौटने के इच्छुक हिंदु पंडित तो घोर निराशा के अंधकार में आये ही और साथ ही गैर कश्मीरी नागरिक कश्मीर छोडने को मजबूर हुये।


अभी हाल ही में इनही आतंकी गतिविधियों के मददेनजर 23 व 24 अक्टूबर 2021 को गृह मंत्री अमित शाह ने जम्मू कश्मीर के श्रीनगर में उच्चस्तरीय बैठक को संबोधित किया। शाह के श्रीनगर यात्रा के दौरान ही एक नागरिक कश्मीर घाटी में शोपियन जिले में सीआरपीएफ की आतंकियों पर की जा रही गोलाबारी में मारा गया।


इन विपरित परिस्थितियों में, आतंकी हमलों में और कश्मीर में चल रहे कफर््यू को देखते हुये अगर अमित शाह कश्मीर को आतंकवाद खत्म करने की शर्त पर राज्य का दर्जा लौटाने की बात कहते और साथ ही कश्मीर की तीनों प्रमुख पार्टियों के नेताओं से सीधी बात करते तो आज स्थिति शायद कुछ और होती।