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कोविड-19 : क्या भारत चीन को रिपलेस कर सकता है मैन्यूफैक्चरिंग के विश्व पटल पर


  • Written By अनुभा जैन, लेखिका पत्रकार on Tuesday, November 21,2021
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इसमें कोई दोराय नहीं कि भारत चीन से काफी विकसित देश है। पर फिर भी भारत में कौशल की कमी, अपर्याप्त इंफरास्टरक्चर या आधारिक संरचना जिनमें बडे पोर्टस व हाइवेस का ना होना कुछ ऐसे महत्वपूर्ण अवरोध हैं जो भारत को चीन से पीछे छोडने के अलावा कंपनियों को भारत की जगह चीन में निवेश करने के लिये आकर्षित करते रहे हैं। 2019 के आंकडों के अनुसार चीन की प्रति व्यक्ति जीडीपी भारत की तुलना में 4.6 गुना अधिक थी। आजादी के बाद के पहले 50 वर्षों में जहां भारत की ओर से आधारिक संरचना में निवेश जीडीपी का 6.5 गुना होना था वह मात्र तीन प्रतिशत ही था। वहीं चीन के द्वारा यह आंकडा जीडीपी का 9 प्रतिशत रहा। वर्ल्ड बैंक के ‘डूइंग बिजनेस प्रोजेक्ट’ के माध्यम से 190 अर्थव्यवस्थाओं की बिजनेस नियमितताओं और उनके एनफोर्समैंट के आधार पर रैंकिंग की गयी। इस रैंकिंग के आधार पर 2020 के हाल ही के निष्कर्षों को देखें तो चीन जहां 31वंे स्थान पर था वहीं भारत 63वें स्थान पर रहा। इसी कडी में आगे देखें तो चीन ने निर्यात आधारित उद्योगों और उत्पादन को बढावा देने के लिये स्पेशल इकोनॉमिक जोन बनाये जिसमें कम लागत में मजदूरी और बेहतर इंफरास्टरेक्चर आदि कुछ बेहतरीन सुविधायें निवेशकों को मुहयैया करायी गयी। वहीं भारत में इस तरह के स्पेशल इकोनॉमिक जोन्स काफी दशक बाद आये और चीन की तरह प्रदान की जाने वाली व फॉरेन निवेशकों को आकर्षित करने वाली सुविधाओं से भी ये जोन्स लैस नहीं थे।


पर 2019-20 में चीन कि वुहान लैब से कोरोना वायरस के लीक होकर दुनियाभर में कोविड-19 जैसी भयावह महामारी फैलने में चीन के हाथ होने के अंदेशे से चीनी अर्थव्यवस्था पर बेहद विपरीत असर हुआ है। कोरोना महामारी की वजह से यूरोपीय व अमेरीकी देश अब चीन में निवेश करने में कतराने लगे हैं। जबकि विभिन्न देश महज अपने कच्चे माल के जरूरतों को पूरा करने के लिये जरूर चीन की ओर रूख कर रहे हैं। पर इसमें भी अगर अपने देश की बात करें तो करीब 70 प्रतिशत भारतीय कंपनियों ने चीन में औद्योगिक निवेश को रोकने के साथ भारत सरकार के ‘आत्मनिर्भर भारत’, ‘मेक इन इंडिया’ और ‘वोकल फॉर लोकल’ कैंपेन्स के तहत निर्यात किये जाने वाले उत्पादों को अपने देश में ही उत्पादन करना शुरू कर दिया है। इसी कड़ी में कई फारमा कंपनियां अपने स्तर पर ही फॉर्मूला बनाने लगी है। इसी तरह से लग्जरी गुडस और फर्निचर उद्योगों ने चीन से मुंह मोड़ कर भारत की ओर रूख किया है।’


पर अभी भी ग्लोबल मल्टीनेशनल कंपनियों को अपनी ओर मोडने के लिये भारत को कई स्तर पर अपने को साबित करना होगा। हाल ही में केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी की माने तो उनके अनुसार चीन की ग्लोबल स्थिति अभी भारत के लिये निवेशकों को आकर्षित करने के लिये बेहद उपयुक्त है।