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ठोस एकीकृत रणनीतत के अभाव में तदनोोंतदन राज्ोों पर मोंडराता माओ नक्सल आतोंक


  • Written By अनुभा जैन, लेखिका पत्रकार on Tuesday, November 11,2022
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नक्सल माओ लवद्रोह, मुख्यतया जाना जाता है वामपंथी राजनीलत के तौर पर। शुरू से ही माओ लवचारधारा के समथषक नक्सल और भारतीय सरकार के बीच टकराव रहा है। माओ प्रभालवत िेत्रों को रेि जोन के तौर पर जाना जाता है। हालांकी नक्सललयों का आतंक समय के साथ कुछ कम जरूर हुआ है पर इसको आज तक खत्म नहीं लकया जा सका है। भारत के 11 राज्यों के 90 लजले या इससे भी कुछ अलधक िेत्र आज रेि जोन या नक्सललयों के आतंक की चपेट में हैं लजनमें मुख्य रूप से शालमल हैं महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, उत्तर प्रदेश, तेलंगाना, ओलिशा, झारखंि, लबहार, पं.बंगाल, म.प्रदेश और केरल। गृहमंत्री राजनाथ लसंह का दावा है लक वर्ष 2023 तक नक्सललयों का समूल नाश कर लदया जायेगा। लसंह के इस बयान से नक्सली भयंकर लवद्रोह व हमला कर अपनी और अलधक उपस्थथलत दजष कराते आये हैं।


जनक्सललयों का गढ़ बने छत्तीसगढ़ का दंतेवाड़ा, महाराष्ट्र का गढ़ लचरौली, ओलिशा का मलकानलगरी और तेलंगाना का आलदलाबाद जहां दो या दो से अलधक राज्यों की सीमाओं पर होने के अलावा पहाड़, नलदयों व घने जंगलों में होने से इन िेत्रों में नक्सललयों का धरदबोचना बेहद कलिन हो जाता है।


पर सरकार के पास माओ या नक्सललयों का सामना करने के ललये कोई िोस व एकीकृत रर्नीलत नहीं है। हर राज्य की अपनी रर्नीलत होने से राज्यों की आपस में व केन्द्र के साथ समान नीलत नहीं होने की वजह से माओवादी फायदा उिा अपने लक्ष्य हालसल करने में कालमयाब हो जाते हैं। जहां एक ओर राजनाथ लसंह बीजेपी सरकार द्वारा नक्सललयों के लवरूद्व किोर रूख अपनाने की बात करते हैं वहीं नीलतश कुमार लवकास की बात कर इस समस्या से मुस्क्त की बात करते हैं। ममता बनजी ने टीएमसी कायषकताषओं पर हमले को देख नक्सललयों के साथ अपने नरम रवयैये को छोि किोर रूख व रर्नीलत अपनानी शुरू की।


नक्सली िेत्रों में प्रशासन का कोई आदमी जाने में खौफजदा महसूस करता है और वह िेत्र नक्सललयों का अड्डा बन जाता है। छत्तीसगढ़ में तैनात सीआरपीएफ का मानना है लक प्रशासन और सुरिा बल वहां के थथानीय नागररकों से करीबी ररश्ा नहीं बना पाते। इससे नक्सललयों को जनता के करीब आने और अपने मुकाम में सफलता हालसल करने में कोई खास परेशानी नहीं होती। लोग सेना से अलधक इन माओवालदयों को अपना करीबी समझते हैं। इसी तरह दंतेवाड़ा जैसे दुगषम थथानों पर सड़क व मोबाइल नेटवकष के अभाव में सेना के नहीं पहुंच पाने से नक्सललयों का बोलबाला बना रहता है।


रगृह मोंत्रालय के आोंकडोों के अनुसार माओ तहोंसा के आोंकडोों में वर्ष 2009 के 2258 तहोंसक वारदातोों की सोंख्या में वर्ष 2020 तक 70 प्रततशत तगरावट के साथ 665 वारदात दजष की गयी है। केंद्र सरकार के आोंकडोों के अनुसार वर्ष 2018 से 2020 के तीन वर्ों में करीब 2168 माओ तहोंसा की दजष वारदातोों में करीब 162 सुरक्षाकतमषयोों और 463 नागररक मारे गये। वही ों इस दौरान 473 नक्सतलयोों को भी अपनी जान गोंवानी पड़ी और करीब 4319 नक्सली तवतभन्न राज्ोों से तगरफ्तार तकये गये। इन राज्ोों में छत्तीसगढ़ और झारिोंड सबसे अतिक नक्सल प्रभातवत क्षेत्र कहे जा सकते हैं। जहाों छत्तीसगढ़ में इन तीन वर्ों में माओ तहोंसा 2018 में 392 दजष की गयी वही ों 2020 में तहोंसक वारदातें 315 रही ों । इन दोनोों स्थानोों पर सबसे अतिक सुरक्षा कतमषयोों की हत्या के मामले अन्य राज्ोों की तुलना में सामने आये। नक्सललयों द्वारा फैली लहंसा की आग हर साल बदस्तूर जारी है लजस पर सरकार को लनयंत्रर् करने के ललये लकसी बेहतरीन रर्नीलत का ताना बुनना होगा।