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हड़प्पा सभ्यता में घोड़ो की मौजूदगी पर सवाल


  • Written By अनुभा जैन, लेखिका पत्रकार on Tuesday, April 11,2022
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टोनी जोसफ ने हाल ही में ललखी अपनी पुस्तक अली इंलियन्स में हिप्पा सभ्यता में घोिों की मौजूदगी पर गहराई से बात की है। पुस्तक में 65 हजार वर्ष पूवष जब आधुलनक मानव ने भारतीय उपमहाद्वीप में रूख लकया था पर भी प्रकाश िाला है। टोनी हिप्पा सभ्यता में घोड़ों की मौजूदगी को नहीं मानते हैं। उनके अनुसार ना कोई अवशेर् या मोहर इस ओर इशारा करती है लक हिप्पा सभ्यता में घोड़े थे। जबलक टोनी ने ऋग्वेद में घोड़े के होने पर मजबूती से जोर लदया है। पोस्ट हड़प्पा सभ्यता में हांलाकी जरूर कुछ पालतू घोड़ों की लमली हििीयों ने घोड़ों की मौजूदगी दजष करायी है। पर अगर बी बी लाल, हड़प्पा व वेलदक सभ्यता के समथषक और इलतहासकार की माने तो उनका कहना है लक लकड़ी के रथ या लकसी अन्य प्रकार से लकड़ी के अवशेर् नहीं लमलने से हम पूर्ष रूप से इस बात के ललये आश्वस्त नहीं हैं लक हड़प्पा सभ्यता में घोड़े थे।


इसके लवपरीत कच्छ गुजरात में भुज से 160 लक.मी. उत्तर पूवष में स्थथत सुरकोटदा में घोड़ों की लमली हििीयों ने घोड़ों का होना जालहर लकया है। सुरकोटदा हड़प्पा सभ्यता का पुरातत्व थथल ही था पर उसका अस्स्तत्व 2100 से 1700 ईसा पूवष में माना जाता है। पर इन घोिों के अवशेर् पोस्ट हड़प्पा सभ्यता में लमले हैं।


इन घोड़ों के अवशेर्ों की जांच करते हुये पुरातत्ववेत्ता सेन्डोर बोकोनी के अनुसार, घोड़ों लजनमें इक्कस कैबेलस के होने का सबूत लमली हि्लड़यों के आकार व उनके जबड़ों दांतों के अवशेर्ों से हुआ है। 9700 ईसा पूवष यालन प्लेस्टोलसन समय जो हड़प्पा सभ्यता का उत्तराद्वष या पोस्ट हड़प्पा माना जाता है के समय जंगली घोड़ों के कोई अवशेर् नहीं लमले हैं। जबलक सुरकोटदा के पालतू घोड़ों का होना अवश्य लमला है। प्लेस्टोलसन समय जो लक 2.58 लमललयन वर्ष पहले से 11700 साल पहले का समय माना जाता है। इस वजह से यह माना गया है लक सुरकोटदा में जो घोड़े थे वे जंगली नहीं होकर पालतू थे। अगर इस बात को माने तो दो वक्तव्य आते हैं- एक, अगर 11700 साल पहले तक घोिे पाले नहीं जाते थे तो घोड़ों का पालना 3500 ईसा वर्ष के आसपास शुरू हुआ। इस तरह सुरकोटदा के घोिे माना जा सकता है लक इस समय से पूवष आयात लकये जाते थे।


इन सबके अलतररक्त कुछ खोजों के अनुसार, हिप्पन संस्कृ लत के लोग हाथी, भैंसों, मोर का लनयाषत कर घोड़ों को आयात करते थे। अंत में पुरात्तववेत्ताओं के अनुसार हड़प्पा सभ्यता के अंत होने के नजदीक यालन 1900 से 1500 ईसा पूवष पालतू घोड़े लदखने लगे थे।