पाकिस्तान में रह रहे हिन्दुओं व क्रिस्चियन ईसाइयों की दुदर्शा - इस्लाम परिवर्त नही सहारा
Written By अनुभा जैन, लेखिका पत्रकार on Tuesday, December 21,2021- 5 comments
हाल ही में जुलाई 2021 में पाकिस्तान के सिंध के मालती इलाके में करीब 60 हिंदुओं को जबरन तौर पर इस्लाम धर्म में परिवर्तित किया गया। इन परिवर्तित हिंदुओं को नगर पालिका प्रमुख अब्दुल रॉफ निजमानी के समक्ष कलीमा पढने को मजबूर किया गया। अब्दुल रॉफ ने सार्वजनिक तौर पर सोशल मीडिया जिनमें फेसबुक पर इस बात की पुष्टि की कि करीब 60 हिंदुओं का इस तरह धर्म परिवर्तन किया गया है और इस्लाम की नमाज में उन्हें शामिल किया जाये।
इस तरह की घटनायें आये दिन सुनने में आती हैं। कई हिंदु लड़कियों को जोर जबरदस्ती करके, अगवा करके या उनसे विवाह करके उनका इस्लाम में धर्म परिवर्तन करवाना पाकिस्तान मुल्कों में शायद आम सी बात है। मूलतः निम्न तबके के गरीब हिंदु युवा इस तरह के वाक्यात के शिकार अधिक होते हैं। जमीन या रोजगार दिलाने के नाम पर मुस्लिम समुदाय इस तरह के कुकृत्य को अंजाम देने से पीछे नहीं हटते।
इसी कड़ी में अगस्त 2020 में कई हिंदु अल्पसंख्यक परिवारों ने दक्षिण पाकिस्तान के सिंध के बादिन जिले में अपना धर्म परिवर्तन किया। पाकिस्तान में रहने वाले हिंदुओं से नौकरी, सरकारी सुविधाओं व हाउसिंग आदि क्षेत्रों में सेकेन्ड सिटी जन के तौर पर व्यवहार किया जाता है। अभी कोरोना महामारी के चलते पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था पतनावस्था के दौर से गुजर रही है और जिसके चलते हिंदु अल्पसंख्यकों को इस्लाम परिवर्तन का बेहददबाव झेलना पड़ रहा है। वर्ल्ड बैंक के अनुसार पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था कोरोना के चलते 2020 में करीब 1.3 प्रतिशत अनुबंधित हुयी और करीब 18 मिलियन पाकिस्तानियों की 74 मिलियन नौकरीयां गयीं।
आंकडों की माने तो इस महामारी के दौर में पाकिस्तान में रह रहे अमीर श्रेणी के हिंदुओं के पास भी लोगों की मदद करने की लिहाज से अब कुछ खास बचा नहीं है। आजादी के समय 1947 में हिंदु करीब 20 प्रतिशत पाकिस्तान की कुल आबादी का हिस्सा थे। वहीं अब हाल में वर्ष 1998 में धर्म के आधार पर की गयी गणना के अनुसार पाकिस्तान में हिंदुओं की संख्या घट कर महज 1.6 प्रतिशत आंकी गयी है। ईशनिंदा, अत्याचार, गहरे भेद भाव ऐसे कुछ कारण हैं जिनकी वजह से हाल में हिंदुओं की संख्या में गिरावट आयी है। इसके अतिरिक्त पाकिस्तान के विभिन्न जिलों में रहने वाले ये गरीब अल्पसंख्यक हिंदु कई बार अपने मकान मालिकों का किराया नहीं भरपाने की वजह से लोन उधार लेकर और गहरे दलदल में फंसते चले जाते हैं। अंत में धर्म परिवर्त नही इन सब संकटों से मुक्ति का समाधान नजर आता है।
इसी तरह से क्रिस्चियन ईसाई भी एक अच्छी तादाद में पाकिस्तान के विभिन्न जिलों में मौजूद हैं पर होने वाले भेदभाव, निंदा और ईसाई लड़कियों पर होते यौन उत्पीड़न को देखते हुये क्रिस्चियन भी इस्लाम में परिवर्तित होने की राह चुनते हैं। हांलाकि सुप्रिम कोर्ट इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिये हिंदुओं व क्रिस्चियन को इस तरह के कदम उठाने से रोकता है और एक निर्धारित अवधि में पुर्नविचार करने का समय भी देता है पर फिर भी धर्म परिवर्तन की घटनायें आये दिन सुनने में आती ही रहती हैं।
ईश निंदा कानून के तहत पाकिस्तान में क्रिस्चियन ईसाइयों को निशाना बनाया जाता रहा है। इसी के चलते ईसाई आज भारी संख्या में पाकिस्तान छोड़कर बांग्लादेश, श्रीलंका, थाईलैंड़, कनाडा व अन्य पश्चिमी देशों में माईग्रेट कर वहां बस रहे हैं। वहीं सिख व हिंदुसिंध व पंजाब से भारत की ओर रूख करने को मजबूर हुये।
कानून निर्माता और सरकार द्वारा इन अल्पसंख्यकों को पाकिस्तान में सीमित सुरक्षा प्रदान की जाती है। एक ईसाई अगर किसी मुस्लिम से विवाह करे तो वह मान्य होगा बशर्ते वह ईसाई अपना धर्म परिवर्तन कर ईस्लाम स्वीकारने को तैया रहो।